अक्सर लोग सेक्स को लेकर अलग-अलग विचार रखते हैं… कोई इसे मात्र एक आम प्रक्रिया मानता है.. तो कोई इसे बहुत गंभीर मानता है, तो कुछ इसका नाम लेने से भी घबराते हैं… लेकिन अगर किसी से प्रश्न किया जाए… कि क्या सेक्स बुरा है? तो उसका जवाब 90% यही होगा की बहुत बुरा है.. फिर से पूछा जाए कि क्या आप बुरे हो? तो 90% उसका जवाब होगा “नहीं बिल्कुल नहीं” अब जिससे उसका जन्म हुआ है… अगर वह बुरा ह तो वह व्यक्ति बुरा है…जो अपने आप को सही कह रहा है, आप कल्पना कीजिए कि अगर सेक्स ना होता… तो क्या यह दुनिया होती? जवाब आएगा नहीं कभी नहीं! तो फिर जो पूरी दुनिया को बनाने का माध्यम है… वह बुरा कैसे हो गया? हम सभी बिना वस्त्रों के पैदा हुए थे… और जब मरेंगे तो भी बिना वस्त्रों के चले जाएंगे.. यानी कि नग्न सेक्स
यह जो बीच की अवस्था है… जिसमें हम आप जी रहे हैं.. खाना खा रहे हैं.. पानी पी रहे हैं, और आप हमारे इन शब्दों को पढ़ रहे हैं… बस इसी अवस्था में हमको कुछ शर्म आती है…. तो हम अपने शरीर को ढक लेते हैं, दरअसल यह कोई शर्म नहीं…. बल्कि हमारी एक बहुत पुरानी परंपरा है जिसे कुछ लोगों ने शर्म में तब्दील कर दिया है…. आप जैन मुनि से लेकर कई ऐसे देश देखेंगे… जिनको शर्म कभी नहीं आती… वह निरंतर अपने काम जुड़े रहते हैं… आपको बहुत सारे ऐसे मंदिर मिल जाएंगे जहां की मूर्तियां कामवासना से भरी होगी… इसमें खासकर हम खुजराहो मंदिर का नाम ले ले सकते हैं… आप यहीं से यह बात समझ सकते हैं… कि अगर इतना बुरा होता… जितना आप समझते हैं तो मंदिर की मूर्तियों में इनका चित्रण कभी ना होता…
कुल मिलाकर हमारी विचारधारा और अवधारणा ने इसको गलत साबित कर दिया है… लेकिन यह इतना गलत नहीं है… जितना आप समझते हैं, आप खुद अपने दिमाग से विचार कीजिए की जिस क्रिया के द्वारा आपका जन्म हुआ आपके माता-पिता का जन्म हुआ जहां तक भगवान को भी इस धरती पर आने के लिए उसी का सहारा लेना पड़ा वह चीज गलत कैसे हो सकती है वह तो इस पूरी धरती को चलाने का एक माध्यम है जिस प्रकार इस धरती पर यदि हवा ना हो… तो यहां सभी जीव जंतु मर जाएंगे… उसी प्रकार यदि इस धरती पर सेक्स ना हो तो इस धरती पर किसी मनुष्य किसी पेड़ पौधे किसी जीव जंतु का जन्म ही नहीं होगा!